The Woodcutter And The Axe Story | ईमानदारी की प्रशंसा

The Woodcutter And The Axe Story | ईमानदारी की प्रशंसा

The Woodcutter And The Axe Story : कई साल पहले, एक छोटे से गाँव में एक लकड़हारा रहता था। वह अपने काम में ईमानदार और बहुत ही ईमानदार था। हर दिन, वह पास के जंगल में लकड़ी काटने जाता था। वह लकड़ी गाँव में ले आता और उसे एक व्यापारी को बेच देता था और अपना पैसा कमाता था। उसकी आमदनी उसके गुजारा करने के लिए काफी थी, लेकिन वह अपने सादे जीवन से संतुष्ट था।

एक दिन, एक नदी के किनारे एक पेड़ काटते समय, उसका कुल्हाड़ी उसके हाथ से फिसल गया और नदी में गिर गया। नदी इतनी गहरी थी कि उसे अपने आप से वही नहीं उठा सकता था। The Woodcutter And The Axe Story उसके पास केवल एक कुल्हाड़ी थी जो नदी में चली गई थी। वह बहुत चिंतित हो गया और मन्नत मांगने लगा। वह बड़ी ईमानदारी से प्रार्थना की ताकि मांजी उसके सामने आ जाएं और उससे अपनी कुल्हाड़ी वापस करने का अनुरोध करें।

The Woodcutter And The Axe Story

मांजी ने नदी में अपना हाथ डालकर एक चांदी कुल्हाड़ी निकाली और पूछा, “क्या यह आपकी कुल्हाड़ी है?” लकड़हारा कुल्हाड़ी को देखकर बोला, “नहीं।” तो मांजी ने फिर से अपना हाथ गहरे पानी में डाला और एक सोने कुल्हाड़ी दिखाई और पूछा, “क्या यह आपकी कुल्हाड़ी है?” लकड़हारा कुल्हाड़ी को देखकर बोला, “नहीं।” मांजी बोली, “फिर से देखें बेटा, यह एक बहुत मूल्यवान सोने की कुल्हाड़ी है, क्या आप सुनिश्चित हैं कि यह आपकी नहीं है?” लकड़हारा ने कहा, “नहीं, यह मेरी नहीं है। मैं सोने की कुल्हाड़ी से पेड़ काट नहीं सकता। यह मेरे लिए उपयोगी नहीं है।” The Woodcutter And The Axe Story

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The Woodcutter And The Axe Story
The Woodcutter And The Axe Story

मांजी मुस्कराई और अंत में फिर से अपना हाथ पानी में डालकर उसकी लोहे की कुल्हाड़ी निकाली और पूछा, “क्या यह आपकी कुल्हाड़ी है?” इस पर लकड़हारा ने कहा, “हां! यह मेरी है! धन्यवाद!” मांजी बहुत प्रभावित हुईं उसकी ईमानदारी से, इसलिए उन्होंने उसे उसकी लोहे की कुल्हाड़ी दी और उसकी ईमानदारी के प्रति प्रशंसा के रूप में दो अन्य कुल्हाड़ी भी दीं।

मोरल: हमेशा ईमानदार रहें। ईमानदारी हमेशा प्रशंसा पाती है।

Frequently Asked Questions (FAQs) About The Story in Hindi

कहानी का संवाद क्या है?

कहानी में एक छोटे से गाँव में एक ईमानदार लकड़हारे की जीवन की कहानी है।

लकड़हारे क्यों खुश और संतुष्ट थे?

लकड़हारे को अपने सादे जीवन से संतुष्ट थे क्योंकि वह अपने काम में ईमानदार थे और अपनी आमदनी से गुजारा कर रहे थे।

लकड़हारे के साथ क्या हुआ जब उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई?

लकड़हारे की कुल्हाड़ी नदी में गिर गई और उसे बहुत चिंता हुई क्योंकि वह अब अपनी आमदनी कैसे कमाएगा।

मांजी ने लकड़हारे को कैसे मदद की?

मांजी ने लकड़हारे की कुल्हाड़ी पाने के लिए अपना हाथ नदी में डाला और तीन विभिन्न कुल्हाड़ियाँ निकाली, फिर उनमें से लोहे की कुल्हाड़ी को पहचान कर उसे वापस दी।

कहानी से क्या मोरल निकलता है?

कहानी से यह सिखने को मिलता है कि हमें हमेशा ईमानदार रहना चाहिए क्योंकि ईमानदारी हमें हमेशा प्रशंसा दिलाती है।

vinodswain.1993@gmail.com

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